वो जो अँधेरो में भी नज़र आए ऐसा साया बनो किसी का तुम!
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हाथ बेशक छूट गया
हाथ बेशक छूट गया, लेकिन वजूद उसकी उंगलियो में ही रह गया..
ये शाम कबसे
ये शाम कबसे बेकरार है ढलने को. तू इक दफे आँचल में अपने मुझे संभालने की ख्वाहिश तो कर|
मैं वो बात हूँ
मैं वो बात हूँ, जो बनी नहीं.. मैं वो रात हूँ,जो कटी नहीं !!
नींद तो आने को थी
नींद तो आने को थी पर दिल पुराने किस्से ले बैठा अब खुद को बे-वक़्त सुलाने में कुछ वक़्त लगेगा|
आओ एक बार
आओ एक बार साथ मुस्कुरा लें…. फिर ना जाने ज़िन्दगी कहाँ ले जाये …!!!
मेरी बेजुबां आँखों से
मेरी बेजुबां आँखों से गिरे हैं चंद कतरे… वो समझ सके तो आँसू ,ना समझ सके तो पानी|
मेरी नज़र में
मेरी नज़र में तो सिर्फ तुम हो, कुछ और मुझको पता नहीं है तुम्हारी महेफिल से उठ रहा हूँ, मगर कहीं रास्ता नहीं है|
सच बोलता गया
यूं तो भीड़ बहुत हुआ करती थी महफिल में मेरी फिर मैं सच बोलता गया और लोग उठते गये
मिलने की अजीब शर्त
उसने मिलने की अजीब शर्त रखी… . गालिब चल के आओ सूखे पत्तों पे, लेकिन कोई आहट न हो!