जुदा कैसे हो पायेंगे

देखते है हम दोनों जुदा कैसे हो पायेंगे…, तुम मुकद्दर का लिखा मानते हो…, हम दुआ को आजमायेंगे…!!!

बहुत दिनों से

बहुत दिनों से इन आँखों को यही समझा रहा हूँ मैं ये दुनिया है यहाँ तो इक तमाशा रोज़ होता है|

उनकी गहरी नींद का

उनकी गहरी नींद का मंज़र भी कितना हसीन होता होगा.. तकिया कहीं.. ज़ुल्फ़ें कहीं.. और वो खुद कहीं…!!

ख़ूब फ़र्क़ समझाया है

किसी ने क्या ख़ूब फ़र्क़ समझाया है “सही” मे ओर “ग़लत” मे, जो बात आप अपने माँता-पिता को बोल सकते हो वो “सही” ओर जो नही बोल सकते वो “ग़लत” हे।

तुम इसकी जगह होते

गुलाब के फूलों को होंठो से लगा कर एक अदा से वो बोली कोई पास ना होता… तो तुम इसकी जगह होते…

इंसान ख्वाइशों से

इंसान ख्वाइशों से बंधा हुआ एक जिद्दी परिंदा है…, उम्मीदों से ही घायल है…उम्मीदों पर ही जिंदा है…!!

वो अक्सर देता है

वो अक्सर देता है मुझे , परिंदों की मिसाल . साफ़ नहीं कहता के , मेरा शहर छोड़ जाओ.

दर्द बयां करना है

दर्द बयां करना है तो शायरी से कीजिये जनाब….. लोगों के पास वक़्त कहाँ एहसासों को सुनने का…

मज़ा ही अलग है

आज़ाद पंछी बनने का मज़ा ही अलग है.. अपनी शर्तों पर जीने का….नशा ही अलग है ..

छुपी होती है

छुपी होती है लफ्जों में बातें दिल की…!! लोग शायरी समझ के बस मुस्कुरा देते हैं…!!

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