बस एक ही बात थी

बस एक ही बात थी जो मुक्कम्मल सुनी थी मैंने , वो एक बात जिसे रुक गया वो कहते कहते !

कभी नीम सी

कभी नीम सी जिंदगी । कभी नमक सी जिंदगी । मैं ढूंढता रहा उम्र भर एक शहद सी जिंदगी। ना शौक बङा दिखने का… ना तमन्ना भगवान होने की… बस आरजू जन्म सफल हो…. कोशिश “इंसानं” होने की.

जुदा हुए वो लोग

जुदा हुए वो लोग कि जिन को साथ में आना था, इक ऐसा मोड़ भी हमारी रात में आना था…

फासले कहाँ मोहब्बत

फासले कहाँ मोहब्बत को कम कर पाते हैं, बिना मुलाकात के भी कई रिश्ते अक्सर साथ निभाते हैं

दिल से ज्यादा

दिल से ज्यादा महफूज़ जगह कोई नही मगर, सबसे ज्यादा लोग यहीं से ही लापता होते हैं।

आग भी क्या

आग भी क्या अजीब चीज़ है… ख़ामोशी से भी लग जाती है…!!!

दिल में समा गई हैं

दिल में समा गई हैं क़यामत की शोख़ियाँ… दो-चार दिन रहा था किसी की निगाह में….

फितरत किसी की

फितरत किसी की यूँ ना आजमाया करिए साहब… के हर शख्स अपनी हद में लाजवाब होता है…

गीली आँखों का

गीली आँखों का दर्द कुछ ख़फ़ा सा है… ये जो सीने में धड़कता है बेवफ़ा सा है…

हर अल्फाज दिल का

हर अल्फाज दिल का दर्द है मेरा पढ़ लिया करो, कोन जाने कोन सी शायरी आखरी हो जाये|

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