परेशां है वो हमसे इश्क़ करके वफादारी की नौबत आ गई है….
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परेशान हुआ है
मुद्दतों बाद आज फिर परेशान हुआ है ये दिल ….,,, ना जाने किस हाल मै होगा मुझसे रूठने वाला !!
वो खुदा से
वो खुदा से क्या मोहब्बत कर सकेगा..! जिसे नफरत है उसके बनाये बन्दों से..!
रात हुई और सो गए
वो बचपने की नींद तो अब ख़्वाब हो गई क्या उम्र थी कि रात हुई और सो गए ।
तेरी दी हुई तन्हाई
बह चुभती है मेरी आंखों में अँधेरा हमसफ़र लगता है तेरी दी हुई तन्हाई का असर ये है अपने आप से डर लगता है
छोड़ ही दें तो अच्छा
हवाएँ ज़हरीली करने वाले,ये ज़मीं छोड़ ही दें तो अच्छा…. मेरी नेकनीयती पर करना यकीं छोड़ ही दें तो अच्छा…. उनकी कुलबुलाहट से अब मैं भी नहीं इतना “ग़ाफ़िल”.. अब कुछ साँप मेरी आस्तीं छोड़ ही दें तो अच्छा….
हां और ना
हां और ना दोनों एक ही शब्द है, जिन्हें जवाब मिला वो बर्बाद ही हुआ है..
इंतजार की घड़ियाँ
इंतजार की घड़ियाँ ख़त्म कर ऐ खुदा, जिसके लिये बनाया है उससे मिलवा भी दे अब ज़रा..!
उनकी आँखों का भी
सिर्फ हम ही नहीं परेशान याद में उनकी, काजल तो उनकी आँखों का भी कुछ बिखरा सा लगता हैं !!
ज़हर पिला दो
आज इतना ज़हर पिला दो की मेरी साँस ही रुक जाये, सुना है साँस रुकने पर बेवफा भी देखने आती है ।