सहम उठते हैं

सहम उठते हैं कच्चे मकान, पानी के खौफ़ से, महलों की आरज़ू ये है की, बरसात तेज हो…

उस की आँखों में

उस की आँखों में नज़र आता है सारा जहाँ मुझ को; अफ़सोस कि उन आँखों में कभी खुद को नहीं देखा मैंने।

कोई था दिल में

कोई था दिल में,जो खो गया है शायद वरना आईने में अश्क़ इतना धुन्धला ना होता..!!

बस इतनी सी ख्वाहिश है

दिल की बस इतनी सी ख्वाहिश है मेरी तुमसे मुलाकात हो फिर अंजाम चाहे कुछ भी हो !!

वो लफ्ज़ कहा से

वो लफ्ज़ कहा से लाऊँ,जो तेरे दिल को मोम कर दे मेरा वजूद पिघल रहा है,तेरी बेरुखी से..!!

ज़िन्दगी के हाथ नहीं होते

ज़िन्दगी के हाथ नहीं होते लेकिन, कभी कभी वो ऐसा थप्पड़ मारती है जो पूरी उम्र याद रहता है !!

किन लफ्ज़ों में

किन लफ्ज़ों में बयाँ करूँ मैं एहमियत तेरी.. तेरे बिन अक्सर मैं अधुरा लगता हूँ..

तू सचमुच जुड़ा है

तू सचमुच जुड़ा है गर मेरी जिंदगी के साथ, तो कबूल कर मुझको मेरी हर कमी के साथ !!!

खिड़की के बाहर का

खिड़की के बाहर का मौसम बादल, बारिश और हवा… खिड़की के अन्दर का मौसम आँसू, आहें और दुआ !

कहाँ मिलता है

कहाँ मिलता है कभी कोई समझने वाला… जो भी मिलता है समझा के चला जाता है…

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