नींद भी नीलाम हो जाती है बाज़ार -ए- इश्क में, किसी को भूल कर सो जाना, आसान नहीं होता !
Tag: शर्म शायरी
जाने क्यों गुरुर है
जाने क्यों गुरुर है उसे हुस्न पर अपने..!! लगता है उसका… आधार कार्ड अभी बना नही
देख जिँदगी तू
देख जिँदगी तू हमे रुलाना छोड दे अगर हम खफा हूऐ तो तूझे छोड देँगे…!!!
सुन कर ग़ज़ल
सुन कर ग़ज़ल मेरी, वो अंदाज़ बदल कर बोले, कोई छीनो कलम इससे, ये तो जान ले रहा है..
ज़िंदगी तो किसी
ज़िंदगी तो किसी और की बक्शी हुई अमानत है….. हम तो बस सांसों की रस्म अदा करते हैं….
लत लग गयी है
लत लग गयी है मुझें तो, अब तुम्हारे साथ की.. पर गुनहगार किसको कहूँ, खुद को या तेरी अदाओं को।….
वो खुद ही ना
वो खुद ही ना छुपा शके अपने चेहरे को नकाब मेँ….., बेवजह हमारी आँखो पे इल्जाम लगा दिया….!!!
एक नींद है
एक नींद है जो रात भर नहीं आती और एक नसीब है जो न जाने कब से सो रहा..
हमारे बिन अधूरे
हमारे बिन अधूरे तुम रहोगे कभी था कोई मेरा, तुम खुद कहोगे न होगें हम तो ये आलम भी न होगा मिलेगें बहुत से पर कोई हम-सा न होगा.
तुम जिंदगी का
तुम जिंदगी का वो हिस्सा हो जो कभी भर नहीं सकता