क्या लिखू जिंदगी के बारे में..वो लोग ही बिछड़ गए जो जिंदगी हुवा करते थे
Tag: शर्म शायरी
बच्चों की हथेली
बस्ता बचपन और कागज़ छीन कर तुमने बच्चों की हथेली बेच दी गाँव में दिखने लगा बाज़ारपन प्यार सी वो गुड़ की भेली बेच दी
जब जब ये चेहरा
जब जब ये चेहरा..! उदास हुआ। झुर्रियों ने पूछा…? मौत के कितने पास हुआ
शहर में देखो
शहर में देखो जवानी में बुढ़ापा आ गया पर बुढ़ापे में जवानी, है अभी तक गांव मे
बात वक्त वक्त की
है बात वक्त वक्त की चलने की शर्त है साया कभी तो कद के बराबर भी आएगा
कोई ले रहा मजे
कोई ले रहा मजे बरिश मे भीग कर!! कोई रो रहा बरिश से बरबाद होकर” आखिर लिखूं तो क्या लिंखू
जब दर्द होता है
जब दर्द होता है …तुम बहुत याद आते हो जब तुम याद आते हो…बहुत दर्द होता है
इक निगह कर के
इक निगह कर के उसने मोल लिया बिक गए आह, हम भी क्या सस्ते
जो दिल के दर्द
जो दिल के दर्द को भुलाने को दारु पीता है, वो चखना नहीं खाता चखना तो कमीने दीलासा देने वाले साफ कर जाते है|
दहर में उनके
या न था दहर में उनके सिवा जालिम कोइ, या सिवा मेरे कोई और गुनहगार न था।