मत पहनाओ इन्हें मनचाहा लिबास रिश्ते तो बिना श्रृगांर ही अच्छे लगते हैं…
Tag: व्यंग्य
यहां गरीबों को
यहां गरीबों को मरने की जल्दी इसलिए भी है.. के जिंदगी की कशमकश में कफन महँगा ना हो जाएँ..
पहले ढंग से
पहले ढंग से तबाह तो हो ले मुफ़्त में उसे भूल जाएँ क्या …
बिन तुम्हारे कभी
बिन तुम्हारे कभी नही आयी क्या मेरी नींद भी तुम्हारी है
अब जी के बहलने की
अब जी के बहलने की है एक यही सूरत बीती हुई कुछ बातें हम याद करें फिर से
बिना तेरे राते
बिना तेरे राते क्यों लम्बी लगतीं है …! कभी तेरा ग़ुस्सा तेरी बातें , क्यों अच्छी लगती है …!
हमसे मोहब्बत का दिखावा
हमसे मोहब्बत का दिखावा न किया कर… हमे मालुम है तेरे वफा की डिगरी फर्जी है
मेरे बस में हो
मेरे बस में हो तो लहरों को इतना भी हक न दूं, लिखूं नाम तेरा किनारे पर लहरों को छुने तक ना दूं।
दिल तुम्हारी तरफ
दिल तुम्हारी तरफ कुछ यूँ झुका सा जाता है.. किसी बेइमान बनिए का तराज़ू हो जैसा..
तूने मेरी मोहब्बत की
तूने मेरी मोहब्बतकी इंतेहा को समझा ही नहीं.. तेरे बदन से दुपट्टा भी सरकता था तो हम अपनी निगाह झुका लेते थे..