कागज पे तो अदालत चलती है, हमें तो तेरी आँखो के फैसले मंजूर है..!!
Tag: वक्त शायरी
पलकों की हद
पलकों की हद तोड़ के दामन पे आ गिरा,एक आंसू मेरे सबर की तौहीन कर गया…..
है हमसफर मेरा तू..
है हमसफर मेरा तू.. अब… मंझिल-ऐ-जुस्तजू क्या… खुद ही कायनात हूँ… अब…. अरमान-ऐ-अंजुमन क्या…???
एक रूह है..
एक रूह है.. जैसे जाग रही है.. एक उम्र से… ।एक जिस्म है.. सो जाता है बिस्तर पर.. चादर की तरह… ।।
अगर फुर्सत के लम्हों मे
अगर फुर्सत के लम्हों मे आप मुझे याद करते हो तो अब मत करना.. क्योकि मे तन्हा जरूर हुँ, मगर फिजूल बिल्कुल नही.
किसी को चाहना
किसी को चाहना ऐसा की वो रज़ा हो जाए… जीना जीना ना रहे एक सज़ा हो जाए… ख़ुद को क़त्ल करना भी एक शौक़ लगे… हो ज़ख़्मों में दर्द इतना की दर्द मज़ा हो जाए…
किसी मोहब्बत वाले
किसी मोहब्बत वाले वकील से ताल्लुक हो तो बताना दोस्तों … मुझे अपना महबूब अपने नाम करवाना है?
हमारे ऐतबार की हद
मत पुछ हमारे ऐतबार की हद तेरे एक इशारे पे.. हम काग़ज़ की कश्ती ले कर समंदर में उतर गये थे..
ज़रूरतों ने उनकी
ज़रूरतों ने उनकी, कोई और ठिकाना ढूंढ लिया शायद, एक अरसा हो गया, मुझे हिचकी नहीं आई|
दीवाने होना चाहते हैं
सब इक चराग़ के परवाने होना चाहते हैं… अजीब लोग हैं दीवाने होना चाहते हैं|