तकलीफों ने ऐसा तराशा है मुझको… हर गम के बाद ज्यादा चमकता हूँ..
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सर झुका के बोलें
पूछा हाल शहर का तो सर झुका के बोलें,,,, लोग तो जिंदा हैं जमीरों का पता नहीं.!!
मै फिर से
मै फिर से कर लुँगा मोहब्बत तुमसे…… एक बात तो बताओ इस बार वफा कितने दिन तक करोगी?
वक्त इंसान पे
वक्त इंसान पे ऐसा भी कभी आता है राह में छोड़ के साया भी चला जाता है|
खेत सूखे सूखे से थे
जिसके खेत सूखे सूखे से थे.. पानी,उसी की आँखों में नजर आया….!!!
लिहाफ़ ओढ़ के
चलो यादों का लिहाफ़ ओढ़ के सो जाए … शायद कोई खूबसूरत ख्वाब अब भी जिंदा हो …
जो देखने में
जो देखने में बहुत ही क़रीब लगता था उसी के बारे में सोचा तो फासला बहुत निकला|
अगर कुसूर न करता
यह तो नहीं कहता कि इन्साफ ही करो.. झूठी भी तसल्ली हो तो जीता ही रहूँगा..!
कुछ इस तरह
कुछ इस तरह उस फकीर ने जिन्दगी की मिसाल दी ” मुठ्ठी में धूल ली और हवा में उछाल दी…!!
उतना ही सच मान
वो सूफ़ी का कौ़ल हो, या गीता का ज्ञान जितनी बीते आप पर, उतना ही सच मान