एक हँसती हुई परेशानी

एक हँसती हुई परेशानी, वाह क्या जिन्दगी हमारी है।

वो परिंदा था

वो परिंदा था, खुले आसमां में उड़ता था उसे इश्क हुआ, सुना अब जमीं पे रेंगता है..

हूँ जन्म से

हूँ जन्म से ही जिस्म में अपने किरायेदार… मेरा सफ़र है इस मकान से उस मकान तक…

मुझसे मौत ने पुछा

मुझसे मौत ने पुछा मै आंऊगीं तो कैसे स्वागत करोगे.. कहा मैने फूल बिछा कर पूछूंगा इतनी देर कैसे लगी….

हर वक़्त रहता है

सबकी जिंदगी मेँ , एक ऐसा शख्स जरूर होता है, जो किस्मत में नहीं, लेकिन दिल और दिमाग मे हर वक़्त रहता है …

दिल में कौन बसा है

दिल में कौन बसा है, ये राज सिर्फ धडकनें जानती है…!!

आइना फैला रहा है

आइना फैला रहा है, ये खुदफरेबी का मर्ज़। हर किसी से कह रहा है, आप सा कोई नही।

रात भर भटका है

रात भर भटका है मन मोहब्बत के पुराने पते पे । चाँद कब सूरज में बदल गया पता नहीं चला ।।

हर दफा बीच में

हर दफा बीच में आ जाता है… ये मज़हब कुछ रास्ते का पत्थर सा लगता है।

सिर्फ अपना ही

मोहब्बत तो सिर्फ शब्द है.. इसका अहसास तुम हो.. शब्द तो सिर्फ नुमाइश है.. जज्ब़ात तो मेरे तुम हो..

Exit mobile version