शर्त लगी थी दुनिया की ख़ुशी

शर्त लगी थी दुनिया की ख़ुशी को एक लफ़्ज़ मे लिखने की…. वो किताबे ढुँढते रह गये मैंने “बेटी” लिख दिया……!!!

जिन्दगी की दौड़ में, तजुर्बा कच्चा ही रह गया,

जिन्दगी की दौड़ में, तजुर्बा कच्चा ही रह गया, हम सिख न पाये ‘फरेब’ और दिल बच्चा ही रह गया !

नाज है हमें अपने प्यार पर

नाज है हमें अपने प्यार पर , ना वो बेवफा और ना मै बेवफा, बस माँ बाप के फर्ज ने हमें जुदा करदिया..!!

तेरी चाहतों को सलाम

मेरी आदतों में शुमार, हैं एक तेरा नाम भी… यादों से बेरुखी भी, तेरी चाहतों को सलाम भी….!

तेरी आदत सी हो गई

शिकवा करने गये थे और इबादत सी हो गई, तुझे भुलाने की ज़िद थी, मगर तेरी आदत सी हो गई…!!!

तुम्हारी यादोँ मे भीग रहा था

खिड़की से बाहर जो देखा तो आज फिर बादल बरस रहे थे, और मैं अन्दर कतरा-कतरा तुम्हारी यादोँ मे भीग रहा था…!!!

हम ये भी भूल गए

घोंसला बनाने में… यूँ मशग़ूल हो गए.. उड़ने को पंख हैं… हम ये भी भूल गए…

महसूस जरुर होते हैँ

बदलता मौसम….. बदलते रिश्ते…. और बदलते लोग…… दिखते भले ना हो …… महसूस जरुर होते हैँ……

तुझें भूलना भी एक तरीके की जीत हैं मेरी

तुझें भूलना भी एक तरीके की जीत हैं मेरी क्यूँकि इतनी मेहनत मैंने तुझे पाने के लिए भी नहीं की थी

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