कभी इतना मत

कभी इतना मत मुस्कुराना की नजर लग जाए जमाने की हर आँख मेरी तरह मोहब्बत की नही होती….!!!

कोई मुझ से

कोई मुझ से पूछ बैठा ‘बदलना’ किस को कहते हैं? सोच में पड़ गया हूँ मिसाल किस की दूँ ? “मौसम” की या “अपनों” की

दोस्ती इन्सान की

दोस्ती इन्सान की ज़रुरत है! दिलों पर दोस्ती की हुकुमत है! आपके प्यार की वजह से जिंदा हूँ! वरना खुदा को भी हमारी ज़रुरत है!

अपनी यादों को ज़रा

समझा दो तुम, अपनी यादों को ज़रा… … वक़्त बे-वक़्त तंग करती हैं मुझे, कर्जदारों की तरह ।

उसकी यादें तो

भूलना भी एक नेमत ही है खुदा की…….!! वरना उसकी यादें तो पागल ही कर दें………!!!

तेरी हो जाए

कभी आग़ोश में यूँ लो की ये रूँह तेरी हो जाए।

छोटे से दिल

इस छोटे से दिल में किस किस को जगह दूँ , गम रहे, दम रहे, फ़रियाद रहे, या तेरी याद रहे..

दिल उसकी याद में

रात भर जलता रहा ये दिल उसकी याद में , समझ नही आता दर्द प्यार करने से होता है या याद करने से …

आधा अधूरा इश्क़

ये बुजदिलों की तरह आधा अधूरा इश्क़ हमसे नहीं होता .. . . . हम जब भी करेंगे मोहब्बत बेइन्तहां ही होगी.

अक्सर उन्हीं की

जिनके दिल बहुत अच्छे होते हैं … . . . . . अक्सर उन्हीं की किस्मत खराब होती है ।

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