कुछ अजीब सा

कुछ अजीब सा रिश्ता है उसके और मेरे दरमियां; ना नफरत की वजह मिल रही है ना मोहब्बत का सिला..!

इतना याद ना आया

इतना याद ना आया करो की रातभर सो ना सकू, दोपहर को जब आंख खुलती है तो घरवाले नाश्ता नहीं देते !

मंजूर है तेरे

मंजूर है तेरे हर फैसले, दूर जाने की वजह.. कि मजबूरी होगी कोई तेरी, आँसू पोंछ ले पगली, मैने कब कहा तेरी बात पर यकीऩ नहीं…

कुछ कहे अनकहे किस्सों में

कुछ कहे अनकहे किस्सों में कैद है वह हर जंग, लोग फिर भी हर जीत पर शुक्र करते हैं किस्मत का..

मैं हौसलों की

मैं हौसलों की राह बना कर चलता रहा, वह मजबूरियों की चादर बना सोता रहा…

दर बदर पनाह को

दर बदर पनाह को भटकता है सच, झूठ महलों में अठखेलियाँ करता है…

फिर से कहो

फिर से कहो ना आज उसी अदा से, मुझे तुमसे मोहब्बत है।।

सिर्फ बेहद चाहने से

सिर्फ बेहद चाहने से क्या होता है, नसीब भी होना चाहिए किसी का प्यार पाने के लिए।।

जादू वो लफ़्ज़ लफ़्ज़ से

जादू वो लफ़्ज़ लफ़्ज़ से करता चला गया, और हमने बात बात में हर बात मान ली।।

मेरे लिये खुशियों की

मेरे लिये खुशियों की दुआ करते हो, तुम खुद मेरे क्यों नही हो जाते।।

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