मेरी समझदारियोँ ने मेरी मासूमियत को मार ङाला… – तुझे अब भी शिकायत है कि मैँ तुझे समझता नहीँ…!!!
Category: Urdu Shayri
सही होना चाहिए
बन्दा खुद की नज़र में सही होना चाहिए… दुनिया तो भगवान से भी दुखी है |
जौर तो ऐ
जौर तो ऐ ‘जोश’ आखिर जौर था, लुत्फ भी उनका सितम ढाता रहा।
ए ज़िन्दगी तेरे
ए ज़िन्दगी तेरे जज़्बे को सलाम, पता है कि मंज़िल मौत है, फिर भी दौड़ रही है…!
देश का माहौल
देश का माहौल इतना बिगड़ गया है कि आमिर खान, शाहरूख खान को तो छोड़ीये ।। अब तो स्वयं मोदी जी भी देश मे नही रहते.
लिखूं ये मुमकिन नहीं
रोज़ रोज़ रात को लिखूं ये मुमकिन नहीं…. कहकर… मेरी कलम सो गयी है रज़ाई में।
सभी का खून
सभी का खून है शामिल यहा की मिट्टी में किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोडी है
अदा-ए-हुस्न
अदा-ए-हुस्न की मासूमियत को कम कर दे.. गुनहगार नज़र को हिजाब आता हे..!”
अब तो सोने दो
शबे फुरकत का जागा हू फरिशतो अब तो सोने दो.. कर लेना हिसाब फिर कभी आहिस्ता आहिस्ता..!”
कड़वा सच
जीवन का कड़वा सच ∥ गरीब आदमी जमीन पर बैठ जाए तो वो जगह उसकी औकात कहलाती है… और अगर कोई धनवान आदमी जमीन पर बैठ जाए तो ये उसका बड़ाप्पन कहलाता है….