लोग होठों पे

लोग होठों पे सजाये हुए फिरते हैं मुझे मेरी शोहरत किसी अखबार की मोहताज नहीं

खुदा की मोहब्बत

खुदा की मोहब्बत को फना कौन करेगा? सभी बन्दे नेक हो तो गुनाह कौन करेगा?

ये सरहदे कब हटेगी

ये रिवाजी पाबंदिया… ये सरहदे कब हटेगी… इंतज़ार है मुझे एक नई खुशनुमा सुबह का…

भरोसा करते है

हम जिन पर आँखे बन्द करके भरोसा करते है, अक्सर वही लोग हमारी आँखे खोल जाते है

अब कैसे हिसाब हो

उसकी मौहब्बत के कर्ज का, अब कैसे हिसाब हो…. वो गले लगाकर कहती है, आप बड़े खराब हो….

जिस दिन अपने

जिस दिन अपने कमाए हुए पैसों से जीना सीख जायोगे , उस दिन आपके शौक अपने आप कम हो जायेंगे..!!

कोई शिकायत नहीं

हमें उनसे कोई शिकायत नहीं; शायद हमारी किस्मत में चाहत नहीं! मेरी तकदीर को लिखकर तो ऊपर वाला भी मुकर गया; पूछा तो कहा, “ये मेरी लिखावट नहीं”!

पूरी दुनिया नफ़रतों

पूरी दुनिया नफ़रतों में जल रही है.. इसीलिए इस बार ठण्ड कम लग रही है।

ए ज़िन्दगी तेरे

ए ज़िन्दगी तेरे जज़्बे को सलाम, पता है कि मंज़िल मौत है, फिर भी दौड़ रही है…!

जंजीर से डर लगता

उल्फत की जंजीर से डर लगता हैं, कुछ अपनी ही तकदीर से डर लगता हैं, जो जुदा करते हैं, किसी को किसी से, हाथ की बस उसी लकीर से डर लगता हैं..

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