दर्द लफ़्ज़ों में

दर्द लफ़्ज़ों में बयाँ होकर भी दर्द ही रहता है, और प्यार ख़ामोश रहकर भी मुस्कुराता है..

अपने हाथों की हथेली पर

अपने हाथों की हथेली पर उसका नाम तो लिख दिया… पर ये सोच कर बहुत रोया के तकदीर तो खुदा लिखता है..

एक ही बात सच है

एक ही बात सच है दुनिया में…आप किसी को हमेशा खुश नहीं रख सकते

हर शख्स परिंदों का

हर शख्स परिंदों का हमदर्द नही होता मेरे दोस्त, बहुत बेदर्द बेठे है दुनिया में, जाल बिछाने वाले !!

जो बेसब्र ना हो

जो बेसब्र ना हो, तो फिर वो मुहब्बत कैसी…..

सबको फिक्र है

सबको फिक्र है अपने आप को सही साबित करने की..! ज़िन्दगी, जिन्दगी नहीं कोई इल्जाम हो जैसे..!!

एक युग था

एक युग था आँसूओं से मैल धो लेते थे सब… अब जरा सी बात पर खंज़र भी है, पत्थर भी है..

परछाई बनने मे नही है..!!

जो आनंद अपनी छोटी पहचान बनाने मे है, वो किसी बड़े की परछाई बनने मे नही है..!!

ध्यान तेरे ध्यान में

मुझको ये ध्यान तेरे ध्यान में रह कर आया के तेरा ध्यान मेरा ध्यान बंटाने में है

कहानी ख़त्म हुई

कहानी ख़त्म हुई और ऐसी ख़त्म हुई…कि लोग रोने लगे तालियाँ बजाते हुए..

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