दिल के जख्म

दिल के जख्म को चेहरे से…. जाहिर न होने दिया, यही जिन्दगी में…… मेरे जीने का अंदाज बन गया..

दौड़ती भागती दुनिया

दौड़ती भागती दुनिया का यही तोहफा है, खूब लुटाते रहे अपनापन फिर भी लोग खफ़ा है..!!

तुझे भुलाने को

तुझे भुलाने को एक पल चाहिए.. वो पल जिसे मौत कहते हैं लोग….

दो चार नहीं

दो चार नहीं मुझे सिर्फ एक दिखा दो…… वो शख्स जो अन्दर भी बाहर जैसा हो

भूल बैठा है

भूल बैठा है वो मेरा नाम न जाने कब से दिल ने सदियों से जिसे अपना बना रखा है …

सब कुछ है

सब कुछ है नसीब में, तेरा नाम नहीं है दिन-रात की तन्हाई में आराम नहीं है मैं चल पड़ा था घर से तेरी तलाश में आगाज़ तो किया मगर अंजाम नहीं है मेरी खताओं की सजा अब मौत ही सही इसके सिवा तो कोई भी अरमान नहीं है कहते हैं वो मेरी तरफ यूं उंगली… Continue reading सब कुछ है

किसी और का हाथ

किसी और का हाथ कैसे थाम लूँ.. तू तन्हा मिल गई तो क्या जवाब दूँगा..

मेरा और उस चाँद का

मेरा और उस चाँद का मुकद्दर एक सा है…. वो तारों में तन्हा है, मैं हजारों में तन्हा।

हज़ार महफ़िलें हो

हज़ार महफ़िलें हो, लाख मेले हो, जब तक खुद से ना मिलो, अकेले ही हो।

जिम्मेदारियां मजबूर कर देती हैं

जिम्मेदारियां मजबूर कर देती हैं, अपना “गांव” छोड़ने को !! वरना कौन अपनी गली में, जीना नहीं चाहता ।।

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