सब कुछ है नसीब में, तेरा नाम नहीं है
दिन-रात की तन्हाई में आराम नहीं है
मैं चल पड़ा था घर से तेरी तलाश में
आगाज़ तो किया मगर अंजाम नहीं है
मेरी खताओं की सजा अब मौत ही सही
इसके सिवा तो कोई भी अरमान नहीं है
कहते हैं वो मेरी तरफ यूं उंगली उठाकर
इस शहर में इससे बड़ा बदनाम नहीं है….