अगर मालूम होता

अगर मालूम होता की इतना तडपता है इश्क, तो दिल जोड़ने से पहले हाथ जोड़ लेते..

हो सके तो

हो सके तो दिलों में रहना सीखो, गुरुर में तो हर कोई रहता है…

न रुकी वक्त की गर्दिश

न रुकी वक्त की गर्दिश और न जमाना बदला, पेड़ सुखा तो परिंदों ने ठिकाना बदला !!

सियाही फैल गयी

सियाही फैल गयी पहले, फिर लफ्ज़ गले, और एक एक कर के डूब गए..

ये भी क्या सवाल हुआ

ये भी क्या सवाल हुआ कि इश्क़ कितना चाहिए, .दिल तो बच्चे की तरह है मुझे थोड़ा नहीं सब चाहिए !!

तेरी रुसवाइयों से

तेरी रुसवाइयों से डरता हूँ… जब भी तेरे शहर से गुज़रता हूँ…

हाल ऐ दिल भी

हाल ऐ दिल भी न कह सके तुझसे…तू रही मुद्दतो करीब मेरे…

जरूरी नहीं की

जरूरी नहीं की हर बात पर तुम मेरा कहा मानों, दहलीज पर रख दी है चाहत, आगे तुम जानो….

तेरा हुस्न एक जवाब

तेरा हुस्न एक जवाब,मेरा इश्क एक सवाल ही सही तेरे मिलने कि ख़ुशी नही,तुझसे दुरी का मलाल ही सही तू न जान हाल इस दिल का,कोई बात नही तू नही जिंदगी मे तो तेरा ख़याल ही सही|

गुनाह कुछ हमसे

गुनाह कुछ हमसे ऐसे हो गए। यूँ अनजाने में फूलों का क़त्ल कर दिया। पत्थरों को मन ने में।

Exit mobile version