दो ‪‎लब्ज़ क्या लिखे

दो ‪‎लब्ज़ क्या लिखे तेरी ‪याद‬ मे.. लोग कहने लगे तु आशिक‬ बहुत पुराना है|

तू पंख ले ले

तू पंख ले ले और मुझे सिर्फ हौंसला दे दे, फिर आँधियों को मेरा नाम और पता दे दे !!

हम निगाहों में थे

उसके तेवर समझना भी आसां नहीं बात औरों की थी, हम निगाहों में थे

आज वो मिली

आज वो मिली ….. जो नींद में आकर…नींद से उठा देती थी…!!!

तुझे गुमान है

ऐ समंदर! तुझे गुमान है अपने कद पर… मैं नन्हा सा परिंदा तेरे ऊपर से गुज़र जाता हूँ!

किताबों की तरह

किताबों की तरह हैं हम भी…. अल्फ़ाज़ से भरपूर, मगर ख़ामोश…

एक तुम ही हमारे

एक तुम ही हमारे ना हुए… वरना दुनिया में क्या कुछ नही होता…

कितने ऐबों से

कितने ऐबों से छुपा रखा है मेरे रब ने मुझे. लोग आज भी मुझसे कहते है, हमारे लिए दुआ करना

कल तुझे देख के

कल तुझे देख के याद आया . . हम भी कभी तेरे हुआ करते थे

गजब की है

गजब की है फरमाइशें इस दिल-ऐ-नादान की , वो होते , हम होते और होंठों पे होंठ होते !!

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