कैसे ज़िंदा रहेगी

कैसे ज़िंदा रहेगी तहज़ीब ज़रा सोचिये….. पाठशाला से ज़्यादा तो मधुशाला है शहर में..

मुझे तालीम दी है

मुझे तालीम दी है मेरी फितरत ने ये बचपन से … कोई रोये तो आंसू पौंछ देना अपने दामन से ….

किसी के नहीं होते

आसमां पे ठिकाने किसी के नहीं होते, जो ज़मीं के नहीं होते, वो कहीं के नहीं होते..!! ये बुलंदियाँ किस काम की दोस्तों… की इंसान चढ़े और इंसानियत उतर जायें….

उस को भी

उस को भी हम से मोहब्बत हो ज़रूरी तो नहीं… इश्क़ ही इश्क़ की क़ीमत हो ज़रूरी तो नहीं…..

हारने के बाद

हारने के बाद इंसान नहीं टूटता….. हारने के बाद लोगों का रवय्या उसे टूटने पर मज़बुर करता है…..

बहुत याद आते है

बहुत याद आते है वो पल ……. जिसमे आप हमारे और हम तुम्हारे थे…

अंजामे वफ़ा ये है

अंजामे वफ़ा ये है जिसने भी मोहब्बत की, मरने की दुआ मांगी, जीने की सज़ा पाई..

ये भी अच्छा है

ये भी अच्छा है कि हम किसी को अच्छे नही लगते … कम से कम कोई रोएगा तो नही मेरे मरने पर ..

आखिर कब तक

आखिर कब तक इन्तजार करूं मैं तुम्हारा , मैं आशिक हूँ ,धरने पर बैठा कोई सुनार नही |

दिखा के मदभरी आंखें

दिखा के मदभरी आंखें कहा ये साकी ने, हराम कहते हैं जिसको यह वो शराब नहीं

Exit mobile version