घर के चूल्हे को

घर के चूल्हे को भरम है कि वो पालता है हमे…!! प्यार तो माँ की हथेली से चुराती है रोटियाँ…….!

नींद से क्या शिकवा

नींद से क्या शिकवा जो आती नहीं, कसूर तो उस चेहरे का है जो सोने नहीं देता !!

तेरा बिछड़ना है

तेरा बिछड़ना है हौसला मेरे लिए.. ताउम्र याद दिलाएगा कुछ कमी थी मुझमे

कई बार मैंने देखा है

कई बार मैंने देखा है खुद को तुम में जिसे तुमने पुकारा नहीं जिद्द में वो मैं था है ऐतबार जिसे अब भी मुझ में वो इंतज़ार तुम हो..

न पूछा कर

न पूछा कर औरो से हाल मेरा.. .ए बेवफा .., इतनी ही फ़िक्र होती तो ..तू साथ होती.. तेरी यादे नहीं…

डूबी हैं मेरी उँगलियाँ

डूबी हैं मेरी उँगलियाँ मेरे ही खून में.. ये कांच के टुकड़ों पे भरोसे की सजा है..

अजीब है ये

अजीब है ये नींदों का आना भी.. कभी मिन्नतें..कभी जबरदस्तियां..!!

जो बनाई है

जो बनाई है तिरे काजल से तस्वीरे-मुहब्बत, अभी तो प्यार के रंग से सजाया ही कहाँ है..!

वो लोग भी चलते है

वो लोग भी चलते है आजकल तेवर बदलकर … जिन्हे हमने ही सिखाया था चलना संभल कर…!

दर्द ओर आसूं

मुहब्बत कितनी सच्ची क्यों न हो एक दिन दर्द ओर आसूं जरुर देती है।

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