कमबख़्त हर नशा

कमबख़्त हर नशा उतरते देखा वक़्त के साथ… ज़रा बताओ तो किस चीज़ की बनी हो तुम …

बेपरवाह हो जाते है

बेपरवाह हो जाते है अक्सर वो लोग… जिन्हे कोई बहुत प्यार करने लगता है …

खुदा से मिलती है

खुदा से मिलती है सूरत मेरे महबूब की..!! अपनी तो मोहब्बत भी हो जाती है और इबादत भी….!!!!

अगर कुछ भी

अगर कुछ भी नहीं है हमारे दरमियान, तो ये लंबी ख़ामोशी क्यों है ??

एक तुम को

एक तुम को अगर चुरा लूं मैं….. सारा जमाना गरीब हो जाये…!

जिन्हें गुस्सा आता है

जिन्हें गुस्सा आता है वो लोग सच्चे होते है; मैंने झूठो को अक्सर मुस्कुराते देखा है ।

बड़ा मुश्किल है..

बड़ा मुश्किल है..जज़्बातो को पन्नो पर उतारना.. हर दर्द महसूस करना पड़ता है..लिखने से पहले..

मसला एक यह भी है

मसला एक यह भी है, जालिम दुनिया का, कोई अगर अच्छा भी है, तो अच्छा क्यूँ है …

यूँ ही गुजर जाती है

यूँ ही गुजर जाती है शाम अंजुमन में, कुछ तेरी आँखों के बहाने कुछ तेरी बातो के बहाने!

तुम्हारी बेरुख़ी ने

तुम्हारी बेरुख़ी ने लाज रख ली बादाख़ाने की, तुम आँखों से पिला देते तो पैमाने कहाँ जाते !!

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