आऊंगा मै इक रोज तेरा दर्द पूछने ख़ुदा जो दे गर मुझे मेरा दर्द भूलने|
Category: Hindi Shayri
मैं शीशा हूँ
मैं शीशा हूँ टूटना मेरी किस्मत है इसलिए पत्थरो से मुझे कोई शिकायत नहीं होती|
बहुत आसान है
बहुत आसान है पहचान इसकी अगर दुखता नहीं तो दिल नहीं है|
सोचता हूँ बेच ही डालू
सोचता हूँ बेच ही डालू अब इसे… मेरे सब उसूल पुराने हो गए है|
अगर देखनी है
अगर देखनी है कयामत तो चले आओ हमारी महफिल मे सुना है आज की महफिल मे वो बेनकाब आ रहे हैँ|
उसे मिल गए
उसे मिल गए उसकी बराबरी के लोग मेरी गरीबी मेरी मोहब्बत की कातिल निकली |
तुम हो मुस्कान
तुम हो मुस्कान लबों की…. बाकी ज़िन्दगी खाली-ख़ाली…!!
न कोई फिकर
न कोई फिकर, न कोई चाह हम तो बड़े बेपरवाह है उम्र फकीराना गुजरी है हम तो ऐसे शहंसाह है|
अपनी चाहत के
अपनी चाहत के नाम कर लेना, कोई उँचा मकाम कर लेना, अगर किसी मोड़ पर मिलो मुझसे, एक प्यारा सलाम कर लेना…
जी भर कर देखूँ
जी भर कर देखूँ तुझे …… अगर गवारा हो …… बेताब मेरी नजर हो और चेहरा तुम्हारा हो ……