किसी के अंदर जिंदा रहने की ख्वाहिश में … हम अपने अंदर मर जाते हैं …
Category: वक़्त शायरी
आजकल के हर आशिक की
आजकल के हर आशिक की अब तो यही कहानी है, मजनू चाहता है लैला को, लैला किसी और की दीवानी है..
कहाँ तलाश करोगे
कहाँ तलाश करोगे तुम दिल हम जैसा.., जो तुम्हारी बेरुखी भी सहे और प्यार भी करे…!!
ख्वाहिशें तो मेरी
ख्वाहिशें तो मेरी छोटी छोटी ही थी पुरी ना हुई तो बड़ी लगने लगी..
हर शख्स परिंदों का
हर शख्स परिंदों का हमदर्द नही होता मेरे दोस्त, बहुत बेदर्द बेठे है दुनिया में, जाल बिछाने वाले !!
कुछ हार गयी तकदिर
कुछ हार गयी तकदिर, कुछ टूट गये सपने, कुछ गैरो ने बरबाद किया, कुछ छोड़ गये अपने…!!
जो बेसब्र ना हो
जो बेसब्र ना हो, तो फिर वो मुहब्बत कैसी…..
हर मर्ज़ का इलाज़
हर मर्ज़ का इलाज़ मिलता था उस बाज़ार में, मोहब्बत का नाम लिया दवाख़ाने बन्द हो गये|
बस तुम्हेँ पाने की तमन्ना
बस तुम्हेँ पाने की तमन्ना नहीँ रही.. मोहब्बत तो आज भी तुमसे बेशुमार करतेँ हैँ.
कह दो कोई उन्हें
कह दो कोई उन्हें कि अपना सारा वक्त दे दें मुझे, जी नहीं भरता मेरा जरा जरा सी मुलाकातों से !