ए ज़िन्दगी तेरे जज़्बे को सलाम, पता है कि मंज़िल मौत है, फिर भी दौड़ रही है…!
Category: व्यंग्य शायरी
देश का माहौल
देश का माहौल इतना बिगड़ गया है कि आमिर खान, शाहरूख खान को तो छोड़ीये ।। अब तो स्वयं मोदी जी भी देश मे नही रहते.
लिखूं ये मुमकिन नहीं
रोज़ रोज़ रात को लिखूं ये मुमकिन नहीं…. कहकर… मेरी कलम सो गयी है रज़ाई में।
सभी का खून
सभी का खून है शामिल यहा की मिट्टी में किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोडी है
भारत
तूने कहा,सुना हमने अब मन टटोलकर सुन ले तू, सुन ओ आमीर खान,अब कान खोलकर सुन ले तू,” तुमको शायद इस हरकत पे शरम नहीं आने की, तुमने हिम्मत कैसे की जोखिम में हमें बताने की शस्य श्यामला इस धरती के जैसा जग में और नहीं भारत माता की गोदी से प्यारा कोई ठौर नहीं… Continue reading भारत
घर नहीं मिला
दर दर भटक रही थी पर दर नहीं मिला, उस माँ के चार बेटे हैं पर रहने को घर नहीं मिला।
किसी की कदर
सीख जाओ वक्त पर किसी की कदर करना… शायद सैल्फी इस बात का प्रमाण है के हम ज़िंदगी में इतने अकेले रह गए है कि हमारे आस पास हमारी फोटो खींचने वाले यार दोस्त भी नहीं बचे”
अब तो सोने दो
शबे फुरकत का जागा हू फरिशतो अब तो सोने दो.. कर लेना हिसाब फिर कभी आहिस्ता आहिस्ता..!”
कड़वा सच
जीवन का कड़वा सच ∥ गरीब आदमी जमीन पर बैठ जाए तो वो जगह उसकी औकात कहलाती है… और अगर कोई धनवान आदमी जमीन पर बैठ जाए तो ये उसका बड़ाप्पन कहलाता है….
एक उसूल पर
एक उसूल पर गुजारी है जिंदगी मैंनें, जिसको अपना माना उसे कभी परखा नही..