महफ़िल में उन्होंने

महफ़िल में उन्होंने नज़र क्या उठाई.. हमने उस पर मुकमल गज़ल सुनाई..

आँखों की दहलीज़ पे

आँखों की दहलीज़ पे आके सपना बोला आंसू से… घर तो आखिर घर होता है… तुम रह लो या मैं रह लूँ….

मैं ख़ुद को

मैं ख़ुद को भूलता जाता हूँ और ऐसे में तिरा पुकारते रहना बड़ा ज़रूरी है|

मैं अगर खत्म भी हो जाऊँ

मैं अगर खत्म भी हो जाऊँ इस साल की तरह… तुम मेरे बाद भी संवरते रहना नए साल की तरह…!!!

बहा के आंसू

बहा के आंसू कल रात माँगा था उसे मगर अफ़सोस फरिश्तो ने कहा शर्त-ए-कबुलियत ये है की दुआ दोनों तरफ से हो

किसी ने पूछा

किसी ने पूछा तुम्हारी सबसे बड़ी “गलतफहमी” क्या थी… मैँने हँसकर कहा की उस पर विशवास करना।

हर शाम उड़ते परिंदों को

हर शाम उड़ते परिंदों को देखकर दिल से ये दुआ निकलती है, कि घर किसीका न उजड़े ज़िन्दगी तलाश करते-करते !!

तुम दिल में

तुम दिल में रहो इतना ही बहुत है, मुलाकात की हमें इतनी जरूरत भी नहीं है !!

सुलझे-सुलझे बालों वाली

सुलझे-सुलझे बालों वाली लड़की से कोई पूछे तो, . . उलझा-उलझा रहने वाला लड़का कैसा लगता है.!!

मै बिक जाऊँगा

मै बिक जाऊँगा बस तुम खरीद लेना, सुना है, बेवफाओ के शहर में थोक के भाव मोहब्बत नीलाम होती है|

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