यूँ ही नहीं होती

यूँ ही नहीं होती, जनाज़ों में भीड़ साहब…!! हर शख्स अच्छा है, बस दुनिया से चले जाने के बाद…!!

चाहे कोई कुछ कहे

चाहे कोई कुछ कहे हर दिल में हम जगह बना लगे लाख सितम सह कर भी हर दिल में जगह बना लेंगे|

पुछा उसने मुझे

पुछा उसने मुझे कितना प्यार करते हो… मै चुप रहा यारो क्योकि मुझे तारो की गिनती नही आती|

मशाल ए आतिश

मशाल ए आतिश है ये रोग ए मुहब्बत रोशन तो करती है मगर जला जला कर |

फलक पे लिख दो

फलक पे लिख दो नाम तुम ये तमन्ना है मेरी , पर! मुझ तक आने का वो रास्ता याद रखना !

सोचा था की अच्छा है

सोचा था की अच्छा है न गिला पहुंचे, न मलाल पहुंचे, बिछडे तो ये आलम है न दुआ पहुंचे,न सलाम पहुंचे…!!

बात का ज़ख्म है

बात का ज़ख्म है तलवार के ज़ख़्मो के सिवा । कीजे क़त्ल मगर मुँह से कुछ इरशाद न हो ।।

मैं तो उस वक़्त से

मैं तो उस वक़्त से डरता हूँ कि वो पूछ न ले ये अगर ज़ब्त का आँसू है तो टपका कैसे..

कुछ है जो

कुछ है जो खत्म हो रहा है अंदर से मेरे…… बेज़ुबान पहले भी हुआ हूँ पर.. … बे-अहसास नहीं !

मेरे होकर भी

मेरे होकर भी मेरे खिलाफ चलते हैं… मेरे फैसले भी देख तेरे साथ चलते हैं!!

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