आसमाँ भर गया

आसमाँ भर गया परिंदो से, पेड़ कोई हरा गिरा होंगा..!!!

फरेबी भी हूँ

फरेबी भी हूँ ज़िद्दी भी हूँ और पत्थर दिल भी हूँ…..!!!! मासूमियत खो दी है मैंने वफ़ा करते-करते……!!!!!

जो मांगू वो दे दिया

जो मांगू वो दे दिया कर…ऐ ज़िन्दग़ी …!! तू बस…मेरी माँ की तरह बन जा…

कबड्डी पूरी तरह से

कबड्डी पूरी तरह से भारतीय खेल है। कैसे? इसमें सब लोग एक साथ मिलकर एक ऐसे आदमी को नीचे गिराने में लगे रहते हैं, जो बेचारा कुछ करने आगे आया है।

मुफ़्त में सिर्फ

मुफ़्त में सिर्फ माँ -बाप का प्यार मिलता है। उसके बाद हर रिश्ते की कीमत चुकानी पड़ती है ।।

वो अनजान चला है

वो अनजान चला है ईश्वर को पाने की खातिर.. बेख़बर को इत्तला कर दो की माँ-बाप घर पर ही है……….

MOTHER का M ही

MOTHER का ‘M’ ही महत्वपूर्ण है । क्योंकि ‘M’ के बिना बाकी सब OTHER है ।

यूँ तो शिकायतें

यूँ तो शिकायतें तुझसे सैंकड़ों हैं मगर, तेरी एक मुस्कान ही काफी है सुलह के लिये…

बहोत कुछ छूट

बहोत कुछ छूट जाता है… “कुछ” पूरा करने में…

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