कुछ मीठा सा

कुछ मीठा सा नशा था उसकी झुठी बातों में; वक्त गुज़रता गया और हम आदी हो गये!

मेरी बेफिक्र अदा से

मेरी बेफिक्र अदा से लोगों में गलतफहमी बेहिसाब है, उन्हें क्या मालूम, मेरा वजूद फिक्र पर लिखी गई इक किताब है…!

नाराज क्यों होते हो

नाराज क्यों होते हो चले जायेंगे तुम्हारी जिन्दगी से बहुत दूर…… जरा टूटे हुए दिल के टुकङे तो उठा लेने दो….!!

इश्क क्या जिंदगी देगा

इश्क क्या जिंदगी देगा किसी को दोस्तों ये तो शुरू ही किसी पर मरने से होता है…!!

अधूरी हसरतों का

अधूरी हसरतों का आज भी इलज़ाम है तुम पर,अगर तुम चाहते तो ये मोहब्बत ख़त्म ना होती…

काश तुम कभी ज़ोर से

काश तुम कभी ज़ोर से गले लगा कर कहो, डरते क्यों हो पागल तुम्हारी ही तो हूँ…

गुरुर-ए-हुस्न

गुरुर-ए-हुस्न की मदहोशी में, उनको ये भी नहीं खबर; . कौन चाहेगा सिवा मेरे, उनको उम्र ढल जाने के बाद !!

वो मेरा नाम लिखते हैं

जमीपर वो मेरा नाम लिखते हैं और मिटाते हैं… कम्बखत उनका टाइमपास होता हैं लेकिन नाम हमारा मिट्टी मे मिल जाता हैं ..

दिल से ज्यादा

दिल से ज्यादा महफूज़ जगह कोई नही मगर, सबसे ज्यादा लोग यहीं से ही लापता होते हैं।

इस शिद्दत से

इस शिद्दत से निभा तु अपना किरदार, कि परदा गीर जाऐ पर तालियाँ बजती रहे |

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