शायरी उसी के लबों पर सजती है साहिब.. जिसकी आँखों में इश्क़ रोता हो..
Category: दर्द शायरी
सज़दा कीजिये या
सज़दा कीजिये या मांगिये दुआये.. जो आपका है ही नही वो आपको मिलेगा भी नही..
अरे कितना झूँठ बोलते हो
अरे कितना झूँठ बोलते हो तुम,,, खुश हो और कह रहे हो मोहब्बत भी की है…
मुसाफ़िर ही मुसाफ़िर
मुसाफ़िर ही मुसाफ़िर हर तरफ़ हैं, मगर हर शख़्स तन्हा जा रहा है…
मेरी मुहब्बत अक्सर
मेरी मुहब्बत अक्सर ये सवाल करती है… जिनके दिल ही नहीं उनसे ही दिल लगाते क्यूँ हो…
गुज़री तमाम उम्र
गुज़री तमाम उम्र उसी शहर में जहाँ… वाक़िफ़ सभी थे कोई पहचानता न था..
आज तेरी याद
आज तेरी याद हम सीने से लगा कर रोये .. तन्हाई मैं तुझे हम पास बुला कर रोये कई बार पुकारा इस दिल मैं तुम्हें और हर बार तुम्हें ना पाकर हम रोये|
मुख्तसर सी जिंदगी मेरी
मुख्तसर सी जिंदगी मेरी तेरे बिन बहुत अधूरी है, इक बार फिर से सोच तो सही की क्या तेरा खफा रहना बहुत जरूरी है ….
तुझे ही फुरसत ना थी
तुझे ही फुरसत ना थी किसी अफ़साने को पढ़ने की, मैं तो बिकता रहा तेरे शहर में किताबों की तरह..
हमारी शायरी पढ़ कर
हमारी शायरी पढ़ कर बस इतना सा बोले वो , कलम छीन लो इनसे .. ये लफ्ज़ दिल चीर देते है ..