आग लगे तो शायद अंधेरा पिघले तेरी चिता की कोख से जब सूरज निकले।
Category: दर्द शायरी
जुबां की खामोशी
जुबां की खामोशी पर मत जाओ, राख के नीचे हमेशा आग दबी होती है।
एक बच्चा खुश हुआ
एक बच्चा खुश हुआ खरीद कर गुब्बारा, दुसरा बच्चा खुश हुआ बेच कर गुब्बारा।
इस तरह तुमने
इस तरह तुमने मुझे छोड़ दिया …. जैसे रास्ता कोई गुनाह का हो
बड़ा सख्त मिज़ाज है
बड़ा सख्त मिज़ाज है वो शख्स, उसे याद रहता है कि मुझे याद नहीं करना…
कोई पूछे मेरे बारे में
कोई पूछे मेरे बारे में, तो कह देना इक लम्हा था जो गुज़र गया। कोई पूछे तेरे बारे में, मैं कह दूंगा इक लम्हा था जो मैं जी गया।
जिंदगी किसने बरबाद की
उसने पुछा जिंदगी किसने बरबाद की , हमने ऊँगली उठाई और अपने ही दिल पर रख ली…
बैठें तो किस उम्मीद पर
बैठें तो किस उम्मीद पर बैठे रहे यहाँ, उठे तो उठ के जायें कहाँ तेरे दर से हम।
बस इतनी दाद देना
बस इतनी दाद देना बाद मेरे मेरी उल्फत की, कि याद आऊँ तो अपने आपको प्यार कर लेना।
तुम्हारी बेरूखी ने
तुम्हारी बेरूखी ने लाज रख ली बादाखाने की , तुम आंखों से पिला देते तो पैमाने कहा जाते।