आज कल बडे खामोश है

आज कल बडे खामोश है शायर सारे… क्या बात है हमसफर नाराज है तुमसे या लफ्ज नाराज है हमसफर से …

आंसू बहा बहा के

आंसू बहा बहा के भी होते नहीं हैं कम.. कितनी अमीर होती है आँखें ग़रीब की..

इस शिद्दत से

इस शिद्दत से निभा तु अपना किरदार, कि परदा गीर जाऐ पर तालियाँ बजती रहे |

उसने चुपके से

उसने चुपके से मेरी आँखों पे हाथ रखकर पूछा…..बताओ कौन..??? ..मै मुस्कराकर धीरे से बोला..”जिन्दगी मेरी”

उम्मीदों की तरह

मिट चले मेरी उम्मीदों की तरह हर्फ़ मगर, आज तक तेरे खतों से तेरी खुश्बु ना गई।

ख्वाहिशों की दुकान

ख्वाहिशों की दुकान पर आँखें मूंद खड़े रहना, मुश्किल बहुत है….बड़े होकर बड़े रहना

दाग़ दुनिया ने

दाग़ दुनिया ने दिए, ज़ख़्म ज़माने से मिले हमको तोहफ़े ये तुम्हें दोस्त बनाने से मिले|

अँधेरे चारों तरफ़

अँधेरे चारों तरफ़ सायं-सायं करने लगे चिराग़ हाथ उठाकर दुआएँ करने लगे तरक़्क़ी कर गए बीमारियों के सौदागर ये सब मरीज़ हैं जो अब दवाएँ करने लगे लहूलोहान पड़ा था ज़मीं पे इक सूरज परिन्दे अपने परों से हवाएँ करने लगे ज़मीं पे आ गए आँखों से टूट कर आँसू बुरी ख़बर है फ़रिश्ते ख़ताएँ… Continue reading अँधेरे चारों तरफ़

हर एक बात के

हर एक बात के यूँ तो दिए जवाब उस ने जो ख़ास बात थी हर बार हँस के टाल गया..

बंध जाये किसी से

बंध जाये किसी से रूह का बंधन, तो इजहारे-ए मोहब्बत को अल्फाजो को जरूरत नही होती।

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