मोहब्बत का वो अंदाज़

मोहब्बत का वो अंदाज़ बड़ा निराला रखते है ,,तोड़ के शाख़ से गुलाब किताब में सुखा कर रखते है

करवट बदल के भी देखा

मैंने करवट बदल के भी देखा है… उस तरफ भी तेरी जरुरत है….

फितरत किसी की

फितरत किसी की यूँ ना आजमाया करिए साहब… के हर शख्स अपनी हद में लाजवाब होता है…

चंद खाली बोतलें

चंद खाली बोतलें चंद हसीनो के खतूत बाद मरने के, मेरे घर से ये सामां निकला।

वो चूड़ी वाले को

वो चूड़ी वाले को अपनी पूरी कलाई थमा देते है जिनकी हम आज तक उंगलिया छूने को तरसते हैं|

अंजाम की ख़बर

अंजाम की ख़बर तो साहब . . कर्ण को भी थी. . .पर बात दोस्ती निभाने की थी..

तुझसे मोहब्बत के लिए

तुझसे मोहब्बत के लिए तेरी मौजूदगी की जरूरत नही,. ज़र्रे-ज़र्रे में तेरी रूह का अहसास होता है|

इस तरह अंदाज़ा लगा

इस तरह अंदाज़ा लगा …. उसकी कड़वाहटों का, आख़री ख़त तेरा दीमक से भी खाया न गया…!!!

मुझसे हर शख्स

मुझसे हर शख्स खुश रहेगा, आज ये भरम टूटा है..ना जाने क्यूँ आज-कल मुझसे, मेरा सनम रूठा है….

सुने तुम जिस रास्ते से

सुने तुम जिस रास्ते से चाहो आ जाना,मेरे चारो तरफ मोहब्बत ही मोहब्बत है !

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