लौटा देती ज़िन्दगी

लौटा देती ज़िन्दगी एक दिन नाराज़ होकर ,,,, काश मेरा बचपन भी कोई अवार्ड होता।

नादानी भी सच मे

आज कल…की नादानी भी सच मे बेमिसाल हे.. अंधेरा दिल?मे है और लोग दिये मन्दिरों मे जलाते हैं…

सच्चाई बस मेरी

सच्चाई बस मेरी खामोशी में है…. शब्द तो में लोगो के अनुसार बदल लेता हु….

अंदाज कुछ अलग

अंदाज कुछ अलग है, मेरे सोचने का…. सब को मंजिल का शौक है और मुझे रास्तो का…

तुम मेरा नाम

शर्म, दहशत, झिझक, परेशानी, नाज़ से काम क्यूँ नही लेती… … आप, वो, जी, मगर…ये सब क्या है, तुम मेरा नाम क्यूँ नही लेतीं ।

उसकी जुस्तुजू उसका

उसकी जुस्तुजू उसका इंतज़ार और अकेलापन, . थक कर मुस्कुरा देता हु जब रोया नहीं जाता

कभी बेवजह भी

कभी बेवजह भी कुछ ना कुछ खरीद लिया करो दोस्तों.. ये वो खुद्दार लोग है जो भिख नही मांगते

जो मांगू वो दे दिया

जो मांगू वो दे दिया कर…ऐ ज़िन्दग़ी …!! तू बस…मेरी माँ की तरह बन जा…

लहज़े में बदज़ुबानी

लहज़े में बदज़ुबानी, चेहरे पे नक़ाब लिए फिरते है, जिनके खुद के बहीखाते बिगड़े है वो मेरा हिसाब लिए फिरते है…।।

जिन्दगी में एक बार

जिन्दगी में एक बार वो मेरी हो जाती कसम खुदा की, दुनिया की हर किताब से नाम बेवफाई का मिटा देता..!!

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