अजीब सी बस्ती में ठिकाना है मेरा जहाँ लोग मिलते कम, झांकते ज़्यादा है…
Category: हिंदी शायरी
Na sangharsh ho
Na sangharsh ho na takleef ho, to kya maza hai jeene mein; bade bade toofan tham jaate hain, jab aag lagi ho seene mein
रिवाज़ ही बदल गए
सुना था वफा मिला करती हैं मोहब्बत में…. हमारी बारी आई तो रिवाज़ ही बदल गए …
दिल बेजुबान है
दिल बेजुबान है तो क्या, तुम यूँ ही तोड़ते रहोगे..?!
कागज़ की नाव
बस इतनी सी बात समंदर को खल गईं, एक कागज़ की नाव मुझ पर कैसे चल गई!
दिल चीर जाते है
जो हैरान हैं मेरे सब्र पर उनसे कह दो.., जो आसूँ जमीं पर नहीं गिरते, अकसर दिल चीर जाते है ……!
तुम एक महंगे
तुम एक महंगे खिलोने हो और मै एक गरीब का बच्चा, मेरी हसरत ही रहेगी तुझे अपना बनाने की !!
Khud Hi Soch
tere siva me kisi or ka kese ho skta hu, tu khud hi soch tere jesa koi or h kya
सवालों में ही
सवालों में ही रहने दो मुझको… यकीं मानिए… मैं जवाब बहुत बुरा हूँ…
ना चाहते हुवे
ना चाहते हुवे भी साथ छोड़ना पड़ा,, मज़बूरी मोहब्बत से ज्यादा ताकतवर होती है…