बहुत आसान है पहचान इसकी…., अगर दुखता नहीं है तो “दिल” नहीं है….।
Category: बेवफा शायरी
यूं तो मेरा भी
यूं तो मेरा भी एक ठिकाना है मगर तुम्हारे बिना लापता हो जाता हूँ मैं|
काश यह जालिम जुदाई
काश यह जालिम जुदाई न होती! ऐ खुदा तूने यह चीज़ बनायीं न होती! न हम उनसे मिलते न प्यार होता! ज़िन्दगी जो अपनी थी वो परायी न होती!
तूम सौ जाऔ
तूम सौ जाऔ केवल भाई वरना गंदगी तूम को साफ करने पडेगी|
जुदाई की शाम आई थी
अभी अभी जो जुदाई की शाम आई थी हमें अजीब लगा ज़िन्दगी का ढल जाना|
हकीक़तें सज़ा देती हैं..!
ख़्वाहिशों का कैदी हूँ, मुझे हकीक़तें सज़ा देती हैं..!!!
फरार नहीं होते…
यकीन मानो मैं तुम्हारे उन कैदियों में से हूँ जो खुले दरवाजे देखकर भी फरार नहीं होते…
कहां तलाश करोगे
कहां तलाश करोगे तुम दिल हमारे जैसा, जो तुम्हारी बेरूखी भी सहे ओर प्यार भी करे !
इतने तो लम्हे भी
इतने तो लम्हे भी नही बिताये मेने तेरे संग.. जितनी रातो की निंद ले गये हो तुम छिन के..
फिर यूँ हुआ कि
फिर यूँ हुआ कि सब्र की उँगली पकड़कर हम..इतना चले कि रास्ते हैरान हो गए..