मैने अपने साये को

मैने अपने साये को भी मार डाला है मेरी तन्हाई अब मुक्कमल है।

राख बेशक हूँ

राख बेशक हूँ पर मुझमे हरकत है अभी भी, जिसको जलने की तमन्ना हो हवा दे मुझको..

ख़ुशी तकदीरो में

ख़ुशी तकदीरो में होनी चाहिए, तस्वीरो में तो हर कोई खुश नज़र आता है ..

उम्मीदों की तरह

मिट चले मेरी उम्मीदों की तरह हर्फ़ मगर, आज तक तेरे खतों से तेरी खुश्बु ना गई।

दाग़ दुनिया ने

दाग़ दुनिया ने दिए, ज़ख़्म ज़माने से मिले हमको तोहफ़े ये तुम्हें दोस्त बनाने से मिले|

अँधेरे चारों तरफ़

अँधेरे चारों तरफ़ सायं-सायं करने लगे चिराग़ हाथ उठाकर दुआएँ करने लगे तरक़्क़ी कर गए बीमारियों के सौदागर ये सब मरीज़ हैं जो अब दवाएँ करने लगे लहूलोहान पड़ा था ज़मीं पे इक सूरज परिन्दे अपने परों से हवाएँ करने लगे ज़मीं पे आ गए आँखों से टूट कर आँसू बुरी ख़बर है फ़रिश्ते ख़ताएँ… Continue reading अँधेरे चारों तरफ़

करवट बदल के भी देखा

मैंने करवट बदल के भी देखा है… उस तरफ भी तेरी जरुरत है….

फितरत किसी की

फितरत किसी की यूँ ना आजमाया करिए साहब… के हर शख्स अपनी हद में लाजवाब होता है…

तुझसे मोहब्बत के लिए

तुझसे मोहब्बत के लिए तेरी मौजूदगी की जरूरत नही,. ज़र्रे-ज़र्रे में तेरी रूह का अहसास होता है|

इस तरह अंदाज़ा लगा

इस तरह अंदाज़ा लगा …. उसकी कड़वाहटों का, आख़री ख़त तेरा दीमक से भी खाया न गया…!!!

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