उनकी ही बज्म सही पै कहाँ का है दस्तूर.. इधर को देखना, देना उधर को पैमाने..!
Category: गुस्ताखियां शायरी
बक्श दें प्यार की गुस्ताख़ियां
बक्श दें प्यार की गुस्ताख़ियां दिल ही क़ाबू में नहीं हम क्या करे
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
उनकी ही बज्म सही पै कहाँ का है दस्तूर.. इधर को देखना, देना उधर को पैमाने..!
बक्श दें प्यार की गुस्ताख़ियां दिल ही क़ाबू में नहीं हम क्या करे