अपने अहसासों को ख़ुद कुचला है मैंने, क्योंकि बात तेरी हिफाज़त की थी.!
Category: गुस्ताखियां शायरी
मैं आज़ाद हूँ
मैं आज़ाद हूँ बस उस लम्हे तक जब तक तुम्हारा ख़्याल न आये….
लौट आया हूँ
लौट आया हूँ मैं फिर ख़ामोशी की क़ैद में … ! .तुम्हें दिल से आवाज़ देने की यही सजा हैं मेरी…
शब्द तो सारे के सारे
शब्द तो सारे के सारे सुरक्षित हैं … बस भावनाओं का वाष्पीकरण हो गया है तुम्हारे खतो से…
आज फिर रात बड़ी नम सी है
आज फिर रात बड़ी नम सी है आज तुम याद फिर बहुत आए|
माना कि मोहब्बत
माना कि मोहब्बत बेइंतहा है आपसे… पर क्या करें, थोड़ा सा इश्क़ खुद से भी है हमें.. ।।
ह्रदय की आंखो से
ह्रदय की आंखो से प्रभु का दीदार करो… दो पल का है अन्धेरा बस सुबह का इन्तेजार करो.. क्या रखा है आपस के बैर मे मेरे साथियों , छोटी सी है ज़िंदगी बस , हर किसी से प्यार करो.।
अच्छा लगता है
अच्छा लगता है तुम्हारे लफ्जों में खुद को ढूँढना इतराता हूँ ,मुस्कुराता हूँ और तुममें ढल जाता हूँ |
लोगो ने कुछ दिया
लोगो ने कुछ दिया, तो सुनाया भी बहुत कुछ ऐ खुदा.. एक तेरा ही दर है, जहा कभी ताना नहीं मिला!
ये न पूछ
ये न पूछ के शिकायतें कितनी है तुझसे ये बता के तेरा और कोई सितम बाकी तो नहीं …!!!