छोड़ा भी हमें ।

क्या खूब मोहब्बत की तुमने तोड़ा भी हमें छोड़ा भी हमें ।।।

जिंदगी उलझी पड़ी है

मैं भूला नहीं हूँ किसी को… मेरे बहुत अच्छे दोस्त है ज़माने में ……… बस थोड़ी जिंदगी उलझी पड़ी है ….. 2 वक़्त की रोटी ढूंढने में। ….

जरा सँभलकर चलना

मिज़ाज बदलते रहते हैं हर पल लोगों के यहाँ ये मिज़ाजों का शहर है जरा सँभलकर चलना

समझ रहा हुँ

खामोश रहता हुँ क्योकि अभी दुनिया को समझ रहा हुँ! समय जरूर लुगाँ पर जिस दिन दाव खेलुँगा उस दिन खिलाङी भी मेरे होगे और खेल भी मेरा !!!

ताल्लुक हो तो

ताल्लुक हो तो रूह से रूह का हो … दिल तो अकसर एक दूसरे से भर जाया करते है

पहचानती तो है…

हमेँ देख कर उसने,मुह मोड लिया…… ,,,,, तसल्ली सी हो गयी,,कि चलो,पहचानती तो है…..

रहना ज़िंदगी से

“ये इक दिन मौत से सौदा करेगी, जरा…होशियार रहना ज़िंदगी से”..

क्या हसीन इत्तेफाक़

क्या हसीन इत्तेफाक़ था तेरी गली में आने का., किसी काम से आये थे, किसी काम के ना रहे..

डोर से बाँधा जाए

जरुरी तो नहीँ हर रिश्ते को नाम की डोर से बाँधा जाए, बाँधे गए रिश्ते अक्सर टूट जाते हैँ..!!!

लकीर नहीं हूँ मैं

इंसान हूँ, तहरीर नहीं हूँ मैं । पत्थर पे लिखी लकीर नहीं हूँ मैं ।। मेरे भीतर इक रूह भी बसती है लोगों सिर्फ़ एक अदद शरीर नहीं हूँ मैं ।।

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