आईना देख के

आईना देख के तसल्ली हुई कोई तो है इस घर मे जो जानता है हमे किसी को न पाने से ज़िंदगी खत्म नहीं हो जाती, पर किसी को पा के खो देने के बाद कुछ बाकी नहीं बचता

तोहफा लाने निकला था

आज तोहफा लाने निकला था शहर में तेरे लिए, कम्बखत खुद से सस्ता कुछ ना मिला।।

अमीर होती है

बहुत अमीर होती है ये शराब की बोतलें… पैसा चाहे जो भी लग जाए पर सारे ग़म ख़रीद लेतीं है…

जीने की आदत

इतनी दूरियां ना बढ़ाओ थोड़ा सा याद ही कर लिया करो, कहीं ऐसा ना हो कि तुम-बिन जीने की आदत सी हो जाए…

कोई ज़रुरत नहीं

कसम की कोई ज़रुरत नहीं मुहब्बत को तुझे कसम है, खुदा को भी दरमियां रखना

मैंने भी बदल दिये

मैंने भी बदल दिये ज़िन्दगी के उसूल, अब जो याद करेगा…,सिर्फ वो ही याद रहेगा…!!

इश्क कर लीजिये

इश्क कर लीजिये बेइंतेहा किताबों से… एक ये ही अपनी बात पलटा नहीं करतीं…!!!

मैं अकेला हूं

कहने को ही मैं अकेला हूं.. पर हम चार है.. एक मैं.. मेरी परछाई.. मेरी तन्हाई.. और तेरा एहसास..”

तैरना तो आता था

तैरना तो आता था हमे मोहब्बत के समंदर मे लेकिन… जब उसने हाथ ही नही पकड़ा तो डूब जाना अच्छा लगा…

फिर से सूरज

फिर से सूरज लहूलुहान समंदर में गिर पड़ा, दिन का गुरूर टूट गया और फिर से शाम हो गई .

Exit mobile version