उसने अपने दिल के

उसने अपने दिल के अंदर जब से नफरत पाली है। ऊपर ऊपर रौब झलकता अंदर खाली खाली है।।

जरा ठहर ऐ जिंदगी

जरा ठहर ऐ जिंदगी तुझे भी सुलझा दूंगा, पहले उसे तो मना लूं जिसकी वजह से तू उलझी है !!

उम्मीद न कर इस दुनिया मेँ

उम्मीद न कर इस दुनिया मेँ, किसी से हमदर्दी की..!! बड़े प्यार से जख्म देते हैँ, शिद्दत से चाहने वाले…!!

हम भी मुस्कुराते थे

हम भी मुस्कुराते थे कभी बेपरवाह अंदाज से देखा है खुद को आज पुरानी तस्वीरों में..!!

देते नहीं दाद ….

देते नहीं दाद …. कभी वो कलाम पे मेरे, जुड़ न जाए कहीं नाम उनका नाम से मेरे

सहम उठते हैं

सहम उठते हैं कच्चे मकान, पानी के खौफ़ से, महलों की आरज़ू ये है की, बरसात तेज हो…

रहने दो अब कोशिशे

रहने दो अब कोशिशे , तुम मुझे पढ़ भी ना सकोगे.. बरसात में कागज की तरह भीग के मिट गया हूँ मैं…

जीब लहजे में

जीब लहजे में पूछी थी खैरियत उसने…जवाब देने से पहले छलक गई आँखें मेरी…

नज़र बन के कुछ

नज़र बन के कुछ इस क़दर मुझको लग जाओ..!! कोई पीर की फूँक न पूजा न मन्तर काम आये….!!!!

उन्होंने बहुत कोशिश की

उन्होंने बहुत कोशिश की, मुझे मिट्टी में दबाने की लेकिन उन्हें मालूम नहीं था कि मैं “बीज” हूँ…..

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