तेरे दीदार के काबिल कहाँ मेरी नजर है ……. वो तो तेरी रहमत है जो तेरा रुख इधर है ।।………
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Waqt Lagata Hain
Tum the to waqt kahin thaherta nhi tha… Ab waqt guzarne main bhi waqt lagata hain…
मोहब्बत के ज़ख़्म
किसी भी मौसम में आकर खरीद लीजिये जनाब, मोहब्बत के ज़ख़्म यहाँ हर मौसम में ताज़ा मिलेंगे…
कोई ताल्लुक़ तो है
मेरी आँखों का तेरी यादों से कोई ताल्लुक़ तो है, तसवुर में जब भी आते हो…चेहरा खिल सा जाता है…
दर्द देने के लिए
अगर मेरी शायरियो से बुरा लगे,तो बता देना दोस्तो, मै दर्द बाटने के लिए लिखता हूँ , दर्द देने के लिए नहीं॥
समझ नहीं पाता
किसी ने ज़हर कहा है किसी ने शहद कहा कोई समझ नहीं पाता है ज़ायका मोहब्बत का
वो शक्स रोज
वो शक्स रोज देखता है डूबते हुये सूरज को काश हम भी किसी शाम का मंजर होते
मासूमियत का कुछ
मासूमियत का कुछ ऐसा अंदाज़ था मेरे सनम का, उसे तस्वीर में भी देखूं तो पलकें झुका लेती थी….
बड़ी बेवफ़ा हो जाती
बड़ी बेवफ़ा हो जाती है ग़ालिब ये घड़ी भी सर्दियों में। पाँच मिनट और सोने की सोचो तो तीस मिनट आगे बढ़ जाती है।।
बचपन बड़ा होकर
बचपन — बड़ा होकर पायलट बनूँगा, डॉक्टर बनूँगा या इंजीनियर बनूँगा…. जवानी — “अरे भाई वो चपरासी वाला फॉर्म निकला की नही अभी तक