फिर मेरे हाथों से

फिर मेरे हाथों से एक एक करके उड़ती गयी … तेरे कसमों और तेरे वादों की सभी तितलियाँ|

ये हर सुबह

ये हर सुबह इश्क के जलसे ये हर रात जुदाई के जुलुस … ये बेरोजगार शायर बनना तुम्हारे नौकरी जितना आसान थोड़े है ।

बहुत झुका हुआ

बहुत झुका हुआ जब आसमान होता है तो सर उठाना भी इक इम्तहान होता है|

काश तुम समझ सको

काश तुम समझ सको कभी हालात मेरे…. एक खालीपन है जो तेरे बिना भरता ही नहीं|

जीत रहा हूँ

जीत रहा हूँ लाखो लोगो का दिल ये शायरी करके लेकिन लोगो को क्या पता अंदर से कितना अकेला हूँ|

तुम आ जाओ मेरी

तुम आ जाओ मेरी कलम की स्याही बनकर.. मैं तुम्हें अपनी ज़िन्दगी के हर पन्ने में उतार दूँगा

आँखो की गहराई

आँखो की गहराई को समझ नही सकते, होंठो से कुछ कह नही सकते कैसे बयां करे हम आपको यह दिल का हाल कि, तुम्ही हो जिसके बगैर हम रह नही सकते|

उनको उलझा के

उनको उलझा के कुछ देर सवालो मे, हमने जी भर के देख लिया उनको…

तेरी ख़ामोशी जला देती है

तेरी ख़ामोशी जला देती है इस दिल को बाक़ी तो सब बातें अच्छी हैं तेरी तस्वीर में|

वो बोलते रहे

वो बोलते रहे हम सुनते रहे, जवाब आँखों में था वो जुबान में ढूंढते रहे !!

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