थोड़ी सी खुद्दारी भी लाज़मी थी, उसने हाथ छुड़ाया मैंने छोड़ दिया|
Tag: Pyar Shayari
बेनाम आरजू की वजह
बेनाम आरजू की वजह ना पूछिये, कोई अजनबी था रूह का दर्द बन गया…
कोई पत्थर तो नहीं…
हर बार वो क्यों मुझे छोड़ जाता है तन्हा, मैं मज़बूत तो बहुत हूँ मगर कोई पत्थर तो नहीं…
मैं वो दरिया हूँ
मैं वो दरिया हूँ के हर मौज भंवर है जिसकी, तुमने अच्छा किया मुझसे किनारा करके…
अजीब रंग का मौसम
अजीब रंग का मौसम चला है कुछ दिन से; नज़र पे बोझ है और दिल खफा है कुछ दिन से… वो और थे जिसे तू जानता था बरसों से… मैं और हूँ जिसे तू मिल रहा है कुछ दिन से…
जरा ठहर ऐ जिंदगी
जरा ठहर ऐ जिंदगी तुझे भी सुलझा दुंगा ,पहले उसे तो मना लूं जिसकी वजह से तू उलझी है..
मुहब्बत उठ गयी
मुहब्बत उठ गयी दोनों घरों से…. सुना है एक ख़त पकड़ा गया है…
किसी के होठों पे
किसी के होठों पे रूकी हुई बात बन कर, रात ठहरी हो जैसे|
किसी ने तो पढ़ी है
किसी ने तो पढ़ी है मेरे हक में दुआ. तभी तो तबियत में थोड़ा आराम सा है…
जनाजे लौट के
जनाजे लौट के आते तो सूकून मिलती उन्हें। जाबांज जीत के आये तो सुबुत मागते हैं।।