मेरे जख्मों को

आतिश ए राख हूँ बेशक बुझा बुझा सा लगता हूँ मैं…. मेरे जख्मों को हवा मत देना जमाना फूंक सकता हूँ मैं…

इश्क का नाम

ऐ उम्र ! कुछ कहा मैंने, पर शायद तूने सुना नहीँ.. तू छीन सकती है बचपन मेरा, पर बचपना नहीं..!! हर बात का कोई जवाब नही होता हर इश्क का नाम खराब नही होता… यु तो झूम लेते है नशेमें पीनेवाले मगर हर नशे का नाम शराब नही होता… खामोश चेहरे पर हजारों पहरे होते… Continue reading इश्क का नाम

मोहब्बत से भरी

मोहब्बत से भरी कोई ग़ज़ल उसे पसंद नहीं , बेवफाई के हर शेर पे वो दाद दिया करते है…

कहा रहते हो

मुद्दतों बात किसीने पूछा कहा रहते हो हमने मुस्कुरा के कहा अपनी औकात में

कंकर फ़ेंको जनाब

अल्फ़ाज़ के कुछ तो कंकर फ़ेंको जनाब, झील सी गहरी ख़ामोशी है यहां.!!

जब बरसी ख़ुशियाँ

दर्द की बारिशों में हम अकेले ही थे,,,!!!.. ऐ umar !!! जब बरसी ख़ुशियाँ न जाने भीड़ कहां से आ गयी.!!!

ज़िन्दगी तो अपने

ज़िन्दगी तो अपने ही दम पे जी जाती है यारों किसी के सहारे से तो जनाज़े उठा करते हैं

कुछ सालों बाद

कुछ सालों बाद ना जाने क्या होगा, ना जाने कौन दोस्त कहाँ होगा… फिर मिलना हुआ तो मिलेगे यादों में, जैसे सूखे हुए गुलाब मिले किताबों में.

मोहब्बत के ज़ख़्म

किसी भी मौसम में आकर खरीद लीजिये जनाब, मोहब्बत के ज़ख़्म यहाँ हर मौसम में ताज़ा मिलेंगे…

वो पूछते हैं

वो पूछते हैं क्या नाम है मेरा, मैंने कहा बस अपना कहकर पुकार लो.

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