आतिश ए राख हूँ बेशक बुझा बुझा सा
लगता हूँ मैं….
मेरे जख्मों को हवा मत देना जमाना फूंक
सकता हूँ मैं…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
आतिश ए राख हूँ बेशक बुझा बुझा सा
लगता हूँ मैं….
मेरे जख्मों को हवा मत देना जमाना फूंक
सकता हूँ मैं…