क़ुर्बानी देनी ही है

क़ुर्बानी देनी ही है तो अपने ऐबों की दो.. इन मासूम जानवरों को मार कर जन्नत नसीब नहीं होगी..

यूँ रुलाया ना कर

यूँ रुलाया ना कर जिंदगी हर बात पर., जरूरी तो नहीं की…. हर किसी की किस्मत में चुप कराने वाला भी हो !!

दिल भी न जाने

दिल भी न जाने किस किस तरह ठगता चला गया, . कोई अच्छा लगा और बस लगता चला गया..!!

खामोश रहती है

खामोश रहती है वो तितली जिसके रंग हज़ार है… और शोर करता रहा वो कौवा, ना जाने किस गुमान पर…

पलकों से पानी गिरा है

पलकों से पानी गिरा है, तो उसे गिरने दो, सीने में कोई पुरानी तमन्ना, पिघल रही होगी….

हर किसी को

हर किसी को मैं खुश रख सकूं, वो सलीका मुझे नहीं आता जो मैं नहीं हूँ, वो दिखने का तरीका मुझे नहीं आता|

दिलकश नजारों को

दिलकश नजारों को नजरों में समेट लूँ, चाँदनी के नूर में इस रूह को लपेट लूँ|

मौत से पहले

बे मौत ना मारे फ़लक आदमी ही क्या, वो गम नहीं जो मौत से पहले न मार दे|

उसने जी भर के

उसने जी भर के मुझको चाहा था…, फ़िर हुआ यूँ कि उसका जी भर गया।

ख़ामोश सा शहर

ख़ामोश सा शहर और गुफ़्तगू की आरज़ू, हम किससे करें बात कोई बोलता ही नहीं…

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